Saturday, January 9, 2016

खफा

हम खफा किससे रहे यहा तो अपने हि पराये हो गये ...
दामनने साथ छोडा हि था अब तो परछायी रुथ गयी ...
कच्ती दरियामे दूर गयी , हुमे तो न किनारा नसीब हुवा न दरिया का पाणी ....
वो प्यार करणा हमसे सिखे और बदलेमे बेवफाई दे गये ....

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